September 22, 2024

तेरह साल का इंतजार, लेकिन नहीं बना झूला पुल

टिहरीः लोकसभा चुनाव सर पर है लिहाजा क्षेत्र में पुलों से सियासत गरमा गई है। दरअसल टिहरी झील बनने से क्षेत्र के कई पुल जलमग्न हो गये थे। इन पुलों की जगह नए पुलों का निर्माण किया जाना था। लेकिन सालों गुजर जाने के बाद भी पुल नहीं बन पाये। जिससे झील पार का एक तबका दुनियां से कट गया। सियासी दलों ने पुलों के निर्माण को मुद्दा बनाया जो आज तक धरातल पर नहीं उतर पाया है। यूं तो टिहरी झील पर बहुप्रतीक्षित डोबरा-चांठी पुल राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है। लेकिन इस पुल के अलावा भी कई अन्य छोटे झूला पुल हैं जिनका निर्माण होना जरूरी था लेकिन सियासी इच्छाशक्ति के आभाव से इन पुलों का निर्माण भी नहीं हो सका।

भागीरथी घाटी का छाम-बल्डोगी झूला पुल का जीवंत उदाहरण है। इस पुल के लिए स्थानीय लोगों ने आंदोलन तक किये लेकिन तेरह वर्ष पहले झील की भेंट चढा़ यह पुल दोबारा नहीं बन पाया है। इस पुल के न बनने से झील के किनारे बसे दर्जनों गांवों भारी असुविधा का सामना कर रहे हंै। यह पुल हर बार के चुनाव में महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाता है। प्रत्येक चुनावी सभाओं में इसे बनाने के बकायदा वायदे भी किए जाते हैं लेकिन हर चुनाव के बाद लोग ठगे रह जाते हैं। क्षेत्र के लोगों ने झील भरने से पहले ही वैकल्पिक पुल की मांग की थी। लेकिन हमारे सियासतदां ग्रामीणों की मांग हमेशा अनदेखा करते आये।

टिहरी बांध डूब क्षेत्र के अंतर्गत थौलधार विकासखंड की नगुण पट्टी, गुसांई पट्टी, जुवा उदयपुर पट्टी को उत्तरकाशी जनपद के चिन्यालीसौड़ विकासखंड की दिचली- गमरी पट्टियों को जोडने वाला छाम- बल्डोगी झूला पुल अक्टूबर 2005 में टिहरी बांध झील भराव के साथ जलमग्न हो गया था जिससे आर-पार के क्षेत्र के तीन दर्जन से अधिक गांव का संपर्क कट गया था। झील के आर पार इन लोगों की नाते, रिश्तेदारियां, सामाजिक, सांस्कृतिक, व आर्थिक गतिविधियां जुड़ी हुई हैं। बांध प्रशासन द्वारा जलभराव के बाद भले ही फेरी बोट की व्यवस्था की, जो ना काफी है। आकस्मिक तौर पर ग्रामीणों को गाड़ी बुक कर 50 किलोमीटर बाया धरासू-चिन्यालीसौड़ होकर जाना पड़ता है। जो कि समय व पैसे दोनों की बर्बादी है। कई बार बारातें भी वोट के माध्यम से ही जोखिम लेकर आर पार कराई जाती हैं। चुनाव के मौके पर सभी चुनाव लड़ रहे प्रतिनिधि जीतने पर पुल बनाने का वायदा भी करते हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद वायदे भूल जाते हैं।
विधानसभा चुनाव में बकायदा केंद्र मंत्री नितिन गड़करी कंडीसौड़ पहुंचे। उन्होंने भी क्षेत्रीय जनता से वादा किया था कि झील के आर-पार पुल बनाया जाएगा। जिला एवं तहसील स्तरीय तहसील दिवस में भी पुल निर्माण का मामला उठाया जा चुका है। लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।


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