September 22, 2024

मोदी सरकार के एक फैसले से दुनियाभर में महंगा हुआ गेहूं-चावल, कीमतों में आया भारी उछाल

रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग की वजह से दुनिया के सामने खाने की समस्या पैदा हो गई है. भारत ने गेहूं समेत कई जरूरी सामान पर पाबंदियां लगा दी है, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है. ग्लोबल मार्केट में इसका पॉजिटिव असर देखने को मिला है. निर्यात पर लगाई गई रोक के बाद में वहां पर कीमतें रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई हैं. संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ने इस बारे में जानकारी दी है.

इंटरनेशनल कीमतों पर रखता है नजर

खाद्य एवं कृषि संगठन मूल्य सूचकांक मई 2022 में औसतन 157.4 अंक रहा, जो अप्रैल से 0.6 फीसदी कम है. हालांकि, यह मई 2021 की तुलना में 22.8 फीसदी ज्यादा रहा है. एफएओ खाद्य वस्तुओं की इंटरनेशनल कीमतों में मासिक बदलाव पर नजर रखता है.

मई में कितना रहा इंडेक्स?

एफएओ खाद्य मूल्य सूचकांक मई में औसतन 173.4 अंक रहा, जो अप्रैल 2022 से 3.7 अंक (2.2 फीसदी) और मई 2021 के मूल्य से 39.7 अंक (29.7 फीसदी) अधिक था. एजेंसी ने कहा, ‘‘इंटरनेशनल लेवल पर गेहूं की कीमतों में लगातार चौथे महीने मई में 5.6 फीसदी की वृद्धि हुई है जो पिछले वर्ष के मूल्य से औसतन 56.2 फीसदी अधिक और मार्च 2008 में रिकॉर्ड बढ़ोतरी से केवल 11 फीसदी कम थी.’’

मोटे अनाज की कीमतों में आई गिरावट

एजेंसी के मुताबिक, ‘‘कई प्रमुख निर्यातक देशों में फसल की स्थिति को लेकर चिंताओं और युद्ध के कारण यूक्रेन में उत्पादन कम होने की आशंका के बीच भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के कारण गेहूं की कीमत तेजी से बढ़ रही है.’’ इसके विपरीत, इंटरनेशनल लेवल पर मोटे अनाज की कीमतों में मई में 2.1 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन कीमतें एक साल पहले के उनके मूल्य की तुलना में 18.1 फीसदी अधिक रहीं.

13 मई को लगाई गेहूं निर्यात पर रोक

एफएओ के चीनी मूल्य सूचकांक में अप्रैल के मुकाबले 1.1 फीसदी की गिरावट आई, जिसका एक प्रमुख कारण भारत में भारी उत्पादन से वैश्विक स्तर पर इसकी उपलब्धता की संभावना बढ़ना है. गौरतलब है कि भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया था.


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com