देश में कोरोना महामारी ने क्यों पकड़ी रफ्तार?
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेहद खतरनाक होती जा रही है। पिछले 24 घंटे में 1 लाख 61 हजार नए मामले सामने आए हैं। जबकि 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। बीते हफ्ते रोजाना संक्रमण के एक लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे थे। लेकिन सोमवार को आए नए मामलों ने अबतक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बताया जा रहा है कि कोविड संबंधी प्रोटोकॉल का पालन नहीं करना कोरोना मामलों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। ऐसे में लोगों के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि नए साल की शुरुआत में कोरोना की स्थिति सामान्य थी तो अचानक से देश में महामारी की रफ्तार कैसे बढ़ गई। वैज्ञानिकों ने इसके पीछे कुछ कारण बताए हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि संक्रमण फैलने का सबसे पहला कारण नया म्यूटेंट का उभरना है, जो घरेलू और बाहरी हैं। महाराष्ट्र में इस नए म्यूटेंट का असर सबसे ज्यादा है। नए म्यूटेंट की वजह से 15 से 20 फीसदी नए मामले इसी से बढ़े हैं। भारत से पहले यूके, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में इस वेरिएंट की पहचान की गई है।
कोविड संबंधी नियमों को सख्ती से पालन जरूरी
दूसरा और तीसरा कारण कोविड-19 प्रोटोकॉल का सही तरीके से पालन नहीं करना और सभी को टीकाकरण किए बिना स्कूल, कॉलेज समेत अन्य चीज़े को खोल देना भी रहा है। वायरस वैज्ञानिक शाहिद जमील और कोविड संबंधी प्रोटोकॉल का पालन नहीं करना और सुरस्त टीकाकरण अभियान तेजी से बढ़ते कोरोना मामलों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। वैज्ञानिक जमील ने बताया कि भारत में कोरोना की पहली लहर के बाद बहुत से लोगों में कोरोना जोखिम का खतरा ज्यादा था। पहली लहर समाप्त होने के बाद लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी। ऐसे में कोरोना मामलों में उछाल होना स्वभाविक है। वहीं तमिलनाडु के क्रिश्चयन मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर टी जैकब जॉन ने कहा कि कोरोना नियमें की अनदेखी की वजह से दूसरी लहर में तेजी देखी जा रही है। जॉन ने बताया कि संक्रमण का बदलता स्वरूप भी दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा बिना टीकाकरण किए हुए राजनीतक दलों और धार्मिक समूहों को आम जनता के लिए खोल दिया गया। इसके अलावा कर्मचारियों और अधिकारियों की वैक्सीनेशन किए बिना ही स्कूल कॉलेज खोल दिए गए। जो दूसरी लहर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। जैकब जॉन ने बताया कि जहां भी संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे वहां पर सख्ती की जरूरत थी।
कोरोना जांच में नए म्यूटेंट की पहचान
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने बताया कि मार्च अंत में कोरोना जांच के लिए जो सैंपल महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब में लोगों से लिए गए उनमें एक नए म्यूटेंट की पहचान हुई है। वायरस वैज्ञानिक शाहिद जमील ने बताया कि भारतीय SARS-CoV-2 कंसोर्टियम ऑन जीनोमिक्स (INSACOG) द्वारा भारत के 10 लैबों में किए गए परीक्षण में जीनोम सीक्वेंसिंग की पहचान की गई, जिसमें दो महत्वपूर्ण बदलाव दिखे। ब्रेटिन का वेरिएंट सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसके अलावा अमेरिका के कैलिफोर्निया में भी पाया गया ।