September 21, 2024

महिला दिवस: उत्तरांचल विश्वविद्यालय ने हिमालयी नारी शक्ति सम्मान का किया आयोजन

देहरादून: उत्तरांचल विश्वविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हिमालयी नारी शक्ति सम्मान 2021 का आयोजन किया गया। महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल इस अवसर पर मुख्य अतिथि थी जबकि जनपद की मुख्य विकास अधिकारी नितिका खंडेलवाल, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जितेन्द्र जोशी एवं कुलपति प्रो. देवेन्द्र पाठक बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने द्वीप प्रज्जवलित कर किया। लॉ कॉलेज देहरादून के सेमीनार हॉल में आयोजित सिविल सेवा, प्रान्तीय सेवा, मैडिकल सेवा, नर्सिंग सेवा, शिक्षाविद्, समाजसेवा, नवपरिवर्तन, उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में विशेष उपलब्धियाँ प्राप्त करने वाली 32 महिलाओं को हिमालयी नारी शक्ति सम्मान 2021 से नवाजा गया।

अपने सम्बोधन में लॉ कालेज के डीन डा. राजेश बहुगुणा ने कहा कि हिमालयी नारियाँ अपनी कर्मठता, धैर्य व आन्दोलन क्षमता के लिए पूरे देश में विख्यात हैं। चिपको आन्दोलन व उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन सहित अनेक ऐसे आन्दोलन हैं जो हिमालयी नारी का प्रतीक रहे हैं।

मुख्य जिला विकास अधिकारी नितिका खंडेलवाल ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के सही मायने है कि महिला को वह चुनने की आजादी हो जो वह करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यदि पुरूष घर के कार्य करने का विकल्प चुनता है तो दोनों को अवसर मिलना चाहिए यही सही अर्थों में समानता होगी।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवेन्द्र पाठक ने भ्रूण हत्या, महिला-पुरूष का घटता अनुपात व महिला सशक्तिकरण पर ठोस विचार व सुझाव रखे। उन्होनें उदाहरण देकर महिलाओं की प्राचीन व वर्तमान स्थिति को समझाया।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जितेन्द्र जोशी ने बताया कि उत्तरांचल विश्वविद्यालय को अंकुरित करने से लेकर उसे संवारने व वर्तमान स्वरूप देने में मातृशक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है। इस सबके पीछे आपकी माता की प्रेरणा है जिनके नाम पर सुशीला देवी सेन्टर फॉर प्रोफेशनल स्ट्डीज एवं रिचर्स की स्थापना हुई और अब उत्तरांचल विश्वविद्यालय व उनके सात विभागों का सफल संचालन किया जा रहा है।

महिला आयोग की अध्यक्षा विजया बड़थ्वाल ने कहा कि सशक्त व कमजोर महिला का भेद पढ़ी-लिखी व अनपढ़ महिला के रूप में ही नहीं अपितु निर्णय लेने में सक्षम व अक्षम के रूप में करना चाहिए। भ्रूण हत्या पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आखिर जब सशक्त कानून बना तो इस पर नियन्त्रण हुआ। हमें एक ऐसे समाज की संरचना करनी चाहिए जहां सभी निर्णायक पदों पर महिला व पुरूष बराबर हो। उन्होनें अपने भाषण में चमोली आपदा में महिलाओं के योगदान व विशेषकर जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया की तारीफ की।

इस अवसर पर मुख्य रूप से विजया बड़थ्वाल, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग, निकिता खंडेलवाल, मुख्य विकास अधिकारी, देहरादून, जितेन्द्र जोशी, कुलाधिपति, उत्तरांचल विश्वविद्यालय, प्रो. देवेन्द्र पाठक, कुलपति, उत्तरांचल विश्वविद्यालय, कुंवर राज अस्थाना, मुख्य संपादक, हिमगिरि, डा. राजेश बहुगुणा, डीन, लॉ कॉलेज देहरादून, गगनजोत कौर मान, मनोज कुमार श्रीवास्तव, कामिनी गुप्ता, मनीषा सैनी, राजेन्द्र कौर सौंधी, डा. पूनम रावत, डा. श्रेया गोयल, डा. भारती रमोला, सुनील अग्रवाल, डा. गितिका खन्ना सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के सभी विभागों के कर्मचारीगण उपस्थित थे।


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