क्या महिलाएं सच में मर्दों से ज्यादा बोलती हैं? जानिए क्या कहती हैं रिसर्च

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महिलाओं पर अक्सर ये इल्जाम लगता आया है कि वो पुरुषों की तुलना में बहुत ज्यादा बोलती हैं, इसके चलते ये सामान्य धारणा भी बन गयी है. ये लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बन गया है. यह धारणा समाज में गहराई से जमी हुई है कि महिलाएं बहुत ज्यादा बोलती हैंहालांकिक्या यह सच में सही हैयह सवाल बहुत जरुरी हैक्योंकि कई बार महिलाओं को ये बोलकर भी परेशान किया जाता है कि वो पुरुषों की तुलना में बहुत ज्यादा बातचीत करती हैंऐसे में चलिए आज हम इसके पीछे का सच जानते हैं कि इस बात में कितनी सच्चाई है.

वैज्ञानिकों ने की रिसर्च

कई सालों से ये मान्यता रही है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा बोलती हैंइसपर एक रिसर्च भी हुई थी जो काफी  पढ़ी भी गईइस रिसर्च में ये दावा किया गया था कि महिलाएं हर दिन औसतन 20,000 शब्द बोलती हैंजबकि पुरुष केवल 7,000 शब्द ही बोलते हैंयह आंकड़ा सुनने में प्रभावशाली लगता हैलेकिन क्या यह सच है?

हाल ही में हुई कई रिसर्च ने इस मान्यता को चुनौती दी गई हैकई अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं और पुरुषों के बीच शब्दों की संख्या में कोई बड़ा अंतर नहीं होता हैदरअसल दोनों लिंग एक ही तरह से शब्दों का उपयोग कर सकते हैंलेकिन उनके बोलने के तरीके और मायने अलग हो सकते हैं.

बातचीत करने का तरीका

महिलाओं और पुरुषों के बीच बातचीत करने का तरीके में भी एक जरुरी फर्क हैमहिलाओं की बातचीत आमतौर पर भावनात्मकरिश्तों और सामाजिक मुद्दों पर टिकी होती हैवो बातचीत के दौरान ज्यादा खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त करती हैं और दूसरों से जुड़ने की कोशिश करती हैंदूसरी ओर पुरुष ज्यादा तार्किक और समस्यासमाधान चीजों पर बातचीत करते हैंउनकी बातचीत करने का मतलब अक्सर जानकारी देना या मुद्दों का समाधान करना होता हैयह फर्क उनके बोलने के तरीके को भी प्रभावित कर सकता है.

क्या हैं सांस्कृतिक मान्यताएं

सांस्कृतिक मान्यताएं भी इसे प्रभावित करती हैंअलगअलग संस्कृतियों में महिलाओं और पुरुषों की बातचीत के बारे में विभिन्न अपेक्षाएं होती हैंकुछ संस्कृतियों में महिलाओं को ज्यादा बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैजबकि दूसरी जगहों पर पुरुषों से ज्यादा बोलने की उम्मीद होती हैकई जगहें भी इस बात को बढ़ावा देती हैं जिसमें महिलाओं के ज्यादा बातचीत करने के बारे में कहा जाता हैजिसमें मीडिया जैसी जगहें भी शामिल होती हैंवहीं कई सालों से ये कहा रहा है कि महिलाएं ज्यादा बोलती हैंजिससे लोगों को ये बात सच लगने लगी हैलेकिन बता दें लंबे समय से कोई बात बोली जा रही है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो सच ही हो.

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